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Rudra Trailer Out : अजय एक बार फिर कॉप लुक में

वेब सीरीज रुद्र द एज ऑफ डार्कनेस का ट्रेलर रिलीज(“Rudra - The Edge of Darkness"). इस वेब सीरीज से अजय देवगन (Ajay Devgn, Digital Debut) कर रहे हैं डिजिटल डेब्यू. रुद्र में अजय एक बार फिर कॉप लुक में नजर आ रहे हैं . अजय के अलावा में राशि खन्ना (Raashi Khanna), ईशा देओल (Esha Deol), अतुल कुलकर्णी, अश्विनी कालसेकर, तरुण गहलोत, आशीष विद्यार्थी और सत्यदीप मिश्रा प्रमुख भूमिकाओं में नज़र आएंगे. ‛रुद्र- द एज ऑफ डार्कनेस’ ब्रिटिश वेब सीरीज ‘लूथर’ की रीमेक है. ('Rudra - The Age of Darkness' is a remake of the British web series 'Luther'.)

समाप्त होती स्पष्टता





हम इंसानी जीव एक समाजशील जीव हैं ।समाजशील होने के कारण हम सामािजक परिवार में रहते हैं। हजारो सालो से हम इसी तरह रहते आए हैं तथा आज भी रहे हैं और आगे भी इसी तरह रहना है । हम सभी एक साथ रहते हैं इस वजह से हम वैचारीक मतभेद को समझते हैं इस मतभेद के बावजूद अब तक परिवार ने सही बातो को समझा है और सही बातों को समझकर रहना िसखा है. सही से चल रहे इस समाज में पिछले कुछ वर्षो में बदलाव हुआ है , लेकिन यह बदलाव सामजिक परिवार के बारे में सोचने के लिए  मजबूर करनेवाला है । यह बदलाव है साइड लेने का । इस समाज मे साइड लेने  का  बदलाव लोकप्रिय हो रहा है ।यही लोगो  को दूर भी कर रहा है।

परिवार मे वैचारीक मतभेद के कारण झगड़ा हो और परिवार का कोई तीसरा सदस्य उन्हें अलग-अलग भी समझाने की कोशिश करे तो अक्सर यही डायलॉग सुनने को मिलता है, ‘अच्छा, तो तुम भी उसी की साइड ले रहे हो?’


साइड लेने कि यह बात सही बातों को स्पष्ट होने से दूर कर रही है । यह सामनेवाले व्यक्ति की बात  कितनी सही या गलत है इस सवाल को सीधे तौर पर काट देती है। यह आग्रह भी आसानी से स्थापित कर देती है कि सामने वाले से यह अपेक्षा नहीं है कि वह सही बात बोले, उससे अपेक्षा यह है कि वह समर्थन करे।हम चाहते हैं कि वे हमें गलत भी समझते हों तो अकेले में हमारे सामने अपनी राय का इजहार भले कर दें, पर सार्वजनिक तौर पर हमारा समर्थन ही करें। अगर उन्होंने ऐसा स्टैंड ले लिया जो हमारे हितों के खिलाफ पड़ता हो तो हम न केवल उन पर गद्दारी का आरोप लगा देते हैं और उन्हें अपना दुश्मन घोषित कर देते हैं बल्कि ऐसा करते हुए खुद को नैतिक रूप से श्रेष्ठ भी महसूस करते हैं। यही हमारे परिवार से दूरी कारण बनता है ।

सामािजक परिवार भलेही खुद को िकतना भी िवचारशील कहे पर परिवार में िकसी व्यक्ति का समर्थन या विरोध इस आधार पर करते हैं कि क्या वह हमारे साथ है ? या राजनीतीक क्षेत्र मे किसी नेता का समर्थन या विरोध इस आधार पर करते हैं कि वह सत्ता में होने पर या िवपक्ष में होने पर क्या करते हैं ?वह िकस धर्म जाती से जुडे हुए है ?क्या कर रहे हैं ? मीिडया भी इसमे शािमल होकर स्पष्टता िदखाने के बजाय न्यायाधीश की तरह फैसला करने लगता है । नोटबंदी , फारूख अब्दुला का कश्मीर को लेकर बयान इसके उदाहरण है ।




िकसी भी  बात को स्पष्ट करने देने के बजाय, जो इसके पूरे सच को समझने की कोशिश करते है या समझाने की कोशिश करते हैं तो सोशल मीिडया , मीिडया का सहारा लेकर सच जानने िक कोशिश करनेवाले को गलत ठहराए जाने का काम शुरू है। इस स्थिति का नुकसान यह होता है कि हमारे सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक जीवन से जुड़े मसले हमारे सामने सही ढंग से आ भी नहीं पाते। यह सब रोकना है तो मेरा नजरिया , तुम्हारा नजरिया करने , अच्छा, तो तुम भी उसी की साइड ले रहे हो इस तरह की बाते करने के बजाय सही और स्पष्ट बातो को समझना है तथा मानवी समूह के सामाजिक परिवार के हजारो वर्षों से चले आ रहे व्यवस्था को लगातर आगे बढाना है । 

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