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Rudra Trailer Out : अजय एक बार फिर कॉप लुक में

वेब सीरीज रुद्र द एज ऑफ डार्कनेस का ट्रेलर रिलीज(“Rudra - The Edge of Darkness"). इस वेब सीरीज से अजय देवगन (Ajay Devgn, Digital Debut) कर रहे हैं डिजिटल डेब्यू. रुद्र में अजय एक बार फिर कॉप लुक में नजर आ रहे हैं . अजय के अलावा में राशि खन्ना (Raashi Khanna), ईशा देओल (Esha Deol), अतुल कुलकर्णी, अश्विनी कालसेकर, तरुण गहलोत, आशीष विद्यार्थी और सत्यदीप मिश्रा प्रमुख भूमिकाओं में नज़र आएंगे. ‛रुद्र- द एज ऑफ डार्कनेस’ ब्रिटिश वेब सीरीज ‘लूथर’ की रीमेक है. ('Rudra - The Age of Darkness' is a remake of the British web series 'Luther'.)

देशभक्ति का नया ट्रेंड

Democracy Quote-लोगों को सच्चा लोकतंत्र या स्वराज कभी भी असत्य और हिंसा से प्राप्त नहीं हो सकता है- लाल बहादुर शास्त्री 
Democracy Quote “अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं हो सकते, असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा विश्वास नहीं है”

रामजस कॉलेज में शेहला राशिद, उमर खालिद को ‘कल्‍चर ऑफ प्रोटेस्‍ट' सेमिनार के लिए बुलाया गया था। इस पर विरोध जताते हुए भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने इसका विरोध किया। इस वजह से सेमिनार रद्द कर दिया गया। इसके विरोध में वामपंथी छात्र संगठन बुधवार को रामजस कॉलेज के बाहर प्रदर्शन के लिए पहुंचे। उन्‍होंने एबीवीपी के खिलाफ नारेबाजी की। इसके बाद दोनों गुटों में झगड़ा शुरू हो गया। इस झगड़े ने उग्र रूप लिया और दोनों गुटों में जमकर मारपीट हुई। जिसमें कई लोगों को ईंट-पत्‍थर लगे। पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा। इस झड़प में कई छात्र, शिक्षक और पुलिसकर्मी जख्मी हुए हैं।

 कुछ पत्रकारों ने पुलिसकर्मियों पर झड़प के दौरान उन पर हमला करने का आरोप लगाया है। एक ओर इस पूरे घटनाक्रम पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने रामजस कॉलेज विवाद में सरकार के हस्तक्षेप को ख़ारिज कर दिया है। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से पूरे घटनाक्रम पर रिपोर्ट जरुर मांगी है। जावड़ेकर का कहना है कि रामजस कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतर्गत आता है और डीयू एक ऑटोनोमस संस्था है। इसलिए सरकार इस मामले में कोई दख़ल नहीं देगी। उन्होंने कहा कि पुलिस जांच कर दोषियों के ख़िलाफ़ आवश्यक कार्रवाई करेगी। दूसरी ओर केंद्रीय गृहराज्य मंत्री किरेन रिजीजू ने रामजस में हुई झड़प के बारे में कहा की हर किसी को बोलने की आज़ादी है, लेकिन विश्वविद्यालयों को देशविरोधी ताकतों का केंद्र नहीं बनने देना चाहिए।

Democracy Quote- “सबसे अच्छा युग वही है जिसमें आम जो चाहें आजादी से सोच सके और जो सोचें आजादी से कह सकें”-टसिर्रटस

जेनयू और अब रामजस में जिस तरह विवाद हुआ वह शर्मनाक है। हर विरोधी विचार को समझना आवश्यक है पर भारत में विरोधी घटना को समझने की कोशिश करनेवाले को देशद्रोही ठहराया जाता है। लोकतंत्र के मूल्यों का लगातार पतन होता जा रहा है पर इससे रोकने के लिए ना सरकार कुछ कर रही और ना ही समाज। लोकतंत्र में हर बात को समझने की आजादी होती है और भारत का लोकतंत्र दुनिया के लिए आदर्श है किन्तु आज भारत की परिस्तिथियां कट्टर पंथी देशों के शासन की तरह हो गयी है। सरकार के विरुद्ध कुछ कहने को या फिर देश में मौजूद किसी विवाद को समझने की कोशिश करना गलत ठहराया जा रहा है। सरकार मीडिया मिलकर उनके विरोधी विचारों को रोकने के लिए गुप्त अभियान चलाते है और चला रहे है। जेनयू के बाद रामजस इसका उदाहरण है। रामजस में हिंसा का कारण भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) रही। उम्मीद की जानी चाहिए की भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) पर कारवाई हो। हिंसा किसी समस्या का हल नहीं हो सकता। भारत में विरोधी विचारों को समझने के बजाय हिंसा को बढ़ावा दिया जा रहा है और इस वजह से भारत अपनी लोकतंत्र की छवि को, लोकतंत्र के मूल्य को गवा रहा है। 

धर्मिकता, व्यक्ति पूजा और संस्कार के नाम के साथ साथ अब देशभक्ति का नया ट्रेंड शुरू हुआ है। जो इस ट्रेंड को मानेंगे या इसे बढ़ावा देंगे वह नेक व्यक्ति कहलाएंगे और जो विरोध दर्शाएंगे वह देशद्रोही कहलाएंगे। ऐसे वातावण में भले मीडिया ट्रायल हो और समाज चाहे कितना भी भरा बुरा कह दे लेकिन जो सही और योग्य हो उसके साथ रहे यही बेहतर है।

भारत में 90% लोग सबसे पहले अपनी पहचान हिन्दू, मुस्लिम,ईसाई आदि धर्म के सहारे देते हैं, उसके बाद लोग मराठी, गुजराती, पंजाबी, दक्षिण भारतीय, बंगाली, बिहारी, भैया है। इनकी बातो से यह कही भी भारतीय नजर नहीं आते लेकिन ट्रेंड के लिए भारतीय जरूर हो जाते है। यही 90% लोग अपनी देशभक्ति हिंसा और अपशब्दों के जरिये दिखाते हैं मूल रूप से इंसानी मूल्य सबसे कीमती है। इसके कई अंग है और उसी इंसानी अंग में से, मूल्यों में से एक मूल्य लोकतंत्र को तोड़ने के लिए सभी तैयार बैठे है। इस लोकतंत्र के मूल्य को तोड़ने वालों के खिलाफ लड़ना गलत नहीं है।  

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