वेब सीरीज रुद्र द एज ऑफ डार्कनेस का ट्रेलर रिलीज(“Rudra - The Edge of Darkness"). इस वेब सीरीज से अजय देवगन (Ajay Devgn, Digital Debut) कर रहे हैं डिजिटल डेब्यू. रुद्र में अजय एक बार फिर कॉप लुक में नजर आ रहे हैं . अजय के अलावा में राशि खन्ना (Raashi Khanna), ईशा देओल (Esha Deol), अतुल कुलकर्णी, अश्विनी कालसेकर, तरुण गहलोत, आशीष विद्यार्थी और सत्यदीप मिश्रा प्रमुख भूमिकाओं में नज़र आएंगे. ‛रुद्र- द एज ऑफ डार्कनेस’ ब्रिटिश वेब सीरीज ‘लूथर’ की रीमेक है. ('Rudra - The Age of Darkness' is a remake of the British web series 'Luther'.)
ये पूरा ब्रह्मांड हम सभी का घर है।इस घर को खूबसूरत कैसे बनाये रखे इस ओर हमारी नजर होनी चाहिए , किंतु हो कुच्छ और ही रहा है। इतना खूबसूरत घर मिलने , सामाजिक परिवार मिलने के बावजूद आज दुनिया में लोग राष्ट्र ,धर्म -जाती के नाम पर लड़ रहे है। वैचारिक समाज के विचारो को बेहतर बनाकर सुधार लाने के बजाय किसी एक विचार को थोपने की कोशिश की जा रही है। भारत इसका उदाहरण है। भारत में राष्ट्रवाद का मुद्दा इतना बड़ा बन गया है की लोक इसके लिए हिंसा तक करते है । खुद को आधुनिक कहनेवाले समाज का ये पहलु काफी बातें स्पष्ट करता है ।यूं तो हर कोई खुद को वैचारिक कहता है लेकिन धर्म जाती, राष्ट्रवाद की बात की जाए तब कुछ सोचने के बजाय सीधा हिंसक हो जाता है , किसी के बातों को ,या घटना को समझने की कोशिश नहीं की जाती।उसके कई उदाहरण भी है। फ़िलहाल का उदाहरण है सुप्रीम कोर्ट के द्वारा राष्ट्रगीत को लेकर सुनाया गया फैसला।
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय गान, यानी 'जन गण मन' से जुड़े एक अहम आदेश में आज बुधवार को कहा कि देशभर के सभी सिनेमाघरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रीय गान ज़रूर बजेगा. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय गान बजते समय सिनेमाहॉल के पर्दे पर राष्ट्रीय ध्वज दिखाया जाना भी अनिवार्य होगा, तथा सिनेमाघर में मौजूद सभी लोगों को राष्ट्रीय गान के सम्मान में खड़ा होना होगा। कोर्ट के इस फैसले का कट्टर पंथी लोग गलत फायदा उठाकर हिंसा कर सकते हैं। राष्ट्रगान के लिए खड़ा रहना या न रहना ये अलग बात हैं। सिर्फ राष्ट्रगान को खड्डे होने से आदर व्यक्त होता तो 15 ऑगस्ट , 26 जनवरी के बाद तिरंगे सडको पर नहीं मिलते, क्योंकि इन दो दिनों में हर जगह राष्ट्रीयता का माहौल होता है । राष्ट्रगान को महत्व देनेवाले विरोधी विचारो का सम्मान करते , लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं होता। कोर्ट के इस फैसले के बाद हर कोई अब राष्ट्र भक्ति सोशल मीडिया के जरिये दिखाने की कोशिश करेंगे। ढेर सारे मेसेज शेअर होने शुरू हो जायेंगे और अगर किसी ने कुछ समझने की कोशिश की या बताने की कोशिश की तो उससे लक्ष्य बनाया जाएगा। ऐसा अंध राष्ट्रवाद जो विचारो की भिनत्ता को ना समझे उसका वैचारिक समाज में महत्व नहीं है।
भारत के सभी लोग खुद को आधुनिक कहते है, ये सभी लोग जानते है की सच क्या है। इसलिए किन विचारो को महत्व देना है ये सभी को बताने की आवश्यकता नहीं है।
राष्ट्र का हीत तब होगा जब सभी लोग योग्य नियमों का सही से पालन करेंगे। सिर्फ कहने में राष्ट्रभक्ति और करने में कुछ नहीं ये राष्ट्र भक्ति नहीं है। भारत में फिल्मो, फिल्मों में काम करनेवाले अभिनेता का प्रभाव ज्यादा होता है ,इस वजह से जैसे अभिनेता करता है वैसे ही करने की कोशिश लोग करते है, इस दौरान वो कई नियम तोड़ देते है, फिर खुद को बेगुनाह बताने की कोशिश करते है।उदाहरण के तौर सिगारेट पीना , ट्रैफिक रूल्स तोडना।
एक तरफ नियम तोडना और दूसरी तरफ राष्ट्रभक्ति दिखाना कितना सही है यह भी बताने की जरूरत नहीं है। इस तरह बाते करने के बाद यानी की दूसरे लोगो के अनुसार उनके विरुद्ध बात करने के बाद लोग आक्रामक हो जाते हैं तथा समाज भी ऐसा बर्ताव करता है जैसे की कोई गुनाह किया हो।
अगर हम नियमों का सही से पालन करे तभी ये राष्ट्र के प्रति आदर देना ही हुआ। किसी के कहने पर राष्ट्रगान के लिए खड्डे होकर आदर देने से कई ज्यादा अच्छा यह है की हम जो नियम सभी के लिए योग्य है उनका सही से पालन करे।इससे राष्ट्र भक्ति ही होगी।
हाल में सभी राष्ट्रवाद को बहुत बढ़ावा दे रहे पर ये भूल रहे है की राष्ट्रवाद की सोच एक दूसरे को अलग करती जा रही है. सभी को साथ में रहना है किन्तु पूरी दुनिया में ये राष्ट्रवाद इतना हावी हो रहा है की सभी को एक दूसरे से अलग कर रहा है। शांति के लिए राष्ट्रवाद की नहीं सभ्य , वैचारिक, सुधार करनेवाले समाज की जरुरत है।



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ReplyDeletegood points.
everyone has to change their point of view to make our country great everyone has to contribute.
Thank you
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