वेब सीरीज रुद्र द एज ऑफ डार्कनेस का ट्रेलर रिलीज(“Rudra - The Edge of Darkness"). इस वेब सीरीज से अजय देवगन (Ajay Devgn, Digital Debut) कर रहे हैं डिजिटल डेब्यू. रुद्र में अजय एक बार फिर कॉप लुक में नजर आ रहे हैं . अजय के अलावा में राशि खन्ना (Raashi Khanna), ईशा देओल (Esha Deol), अतुल कुलकर्णी, अश्विनी कालसेकर, तरुण गहलोत, आशीष विद्यार्थी और सत्यदीप मिश्रा प्रमुख भूमिकाओं में नज़र आएंगे. ‛रुद्र- द एज ऑफ डार्कनेस’ ब्रिटिश वेब सीरीज ‘लूथर’ की रीमेक है. ('Rudra - The Age of Darkness' is a remake of the British web series 'Luther'.)
16-12- 2012 को हुए निर्भया के अत्याचार के घटना के बाद कहा जा रहा था की सरकार और लोगो ने भी सबक सीखा है. अत्याचार की घटनाओ को रोकने के लिए कई कायदे कानून बनाए जाने की बाते की गयी और निर्भया फंड की भी शुरुवात की गयी। पर क्या सच में इन चार सालो में कुछ बदलाव हुए है ? ऐसा इसलिए सवाल और ख्याल आ रहा है क्योंकि समाज में अभी भी महिलाओं के प्रति समाज का जो आचरण है वह काफी सवाल खुद खड़े कर रहा है.
दिल्ली में 20 साल की युवती के साथ लिफ्ट देने के बहाने लैंिगक अत्याचार किया गया जिस वाहन में युवती बैठी थी उस गाडी पर गृह मंत्रालय का एक स्टिकर चिपका हुआ था. इस घटना ने फिर एक बार फिर दिल्ली और सभी लोगो को शर्मसार किया है. यह लिंक है इस घटना की →→→ http://zeenews.india.com/hindi/india/delhi-haryana/girl-allegedly-raped-in-a-car-in-delhis-moti-bagh-accused-arrested/312689
निर्भया दुर्घटना के बाद उम्मीद लगाई जा रही थी की समाज में बदलाव आएगा पर समाज और क़ानून के व्यवस्था को देखकर ऐसा नहीं लगता। अभी भी हर दिन कही न कही महिलाओं के साथ जोर जबरदस्ती , छेडछाड, उत्त्पीडन , लैंिगक अत्याचार जैसी घटनाएं देखने को मिलती है. इन घटनाओ में कारवाही के बावजूद गुन्हेगारो में कोई खौफ नहीं है।
सामाजिक विकास की वैसी नीतियां किसी भी सरकार की प्राथमिकता में नहीं हैं जिनमें स्त्री -विरोधी मानसिकता को बदलने के कार्यक्रम शामिल हों।
समाज और सरकार को आज भी महिलाओं के लिए सन्मानजनक स्थितियां निर्माण करने के लिए प्रयास करने पड़ रहे हैं इससे ज्यादा विचार करने के लिए मजबूर करने वाली बात कोई और नहीं हो सकती । महिलाओं को मान सम्मान देने की शुरुवात खुद से होनी चाहिए । महिलाओ के सन्मान करने की बात बहुत से लोग करते है ,पर उनमें से कितने लोग उसका सच में पालन करते है? थिएटर और कई सामजिक जगहों पर दिख ही जाता है की महिलाओं का कौन कितना सन्मान करता है। निर्भया के घटना को याद कर सिर्फ 16 दिसंबर को कैंडल मार्च निकालकर या किसी कार्यक्रम का आयोजन कर कुछ नहीं होता।
सभी को मिलकर महिला के प्रति मर्यादित विचारों को समाप्त करना है और इसकी शुरवात खुद से करनी है।


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