वेब सीरीज रुद्र द एज ऑफ डार्कनेस का ट्रेलर रिलीज(“Rudra - The Edge of Darkness"). इस वेब सीरीज से अजय देवगन (Ajay Devgn, Digital Debut) कर रहे हैं डिजिटल डेब्यू. रुद्र में अजय एक बार फिर कॉप लुक में नजर आ रहे हैं . अजय के अलावा में राशि खन्ना (Raashi Khanna), ईशा देओल (Esha Deol), अतुल कुलकर्णी, अश्विनी कालसेकर, तरुण गहलोत, आशीष विद्यार्थी और सत्यदीप मिश्रा प्रमुख भूमिकाओं में नज़र आएंगे. ‛रुद्र- द एज ऑफ डार्कनेस’ ब्रिटिश वेब सीरीज ‘लूथर’ की रीमेक है. ('Rudra - The Age of Darkness' is a remake of the British web series 'Luther'.)
भारतीय लोकशाही को दुनिया के हर एक प्रदेश में सबसे अच्छा लोकतंत्र कहा जाता है , इसके प्रभाव को माना जाता है किन्तु आज इस लोकशाही तंत्र को धोका निर्माण हुआ है । राजनीति के गिरते स्तर ने इस लोकतंत्र के लिए दिक्कते निर्माण करने का काम किया है। आज की राजनीति अहंकार में फंसी हुई नजर आ रही है । नोट बंदी के बाद इससे देखने का मौका फिर एक बार मिला । देश के दो बड़े नेता और पार्टियां एक दूसरे पर आरोप कर रही , एक -दूसरे को प्रतिक्रियाएं दे रही है। इससे पता चलता है की भारतीय राजनीति बयान आधारित बनती जा रही है हम और आप भी नेताओं का मूल्यांकन विचार कम डायलॉगबाजी से ज्यादा कर रहे है। टीवी की भाषा भी पत्रकारिता की कम, सीरीयल की ज्यादा हो गई है. इससे सभी को बहुत नुकसान होने वाला है.
नोट बंदी के बाद कॉंग्रेस के नेता राहुल गाँधी जी और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी एक- दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप और बयानबाजी कर रहे है । राहुल जी ने गुजरात के मेहसाणा में एक रैली को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी पर भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप लगाए है। राहुल ने कहा कि नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो सहारा ने उन्हें 6 महीने में 40 करोड़ रुपये दिए थे। सहारा का यह रिकॉर्ड आयकर विभाग के पास है साथ ही उन्होंने कहा की गरीबों, किसानों एवं मजदूरों पर नोटबंदी बमबारी और आर्थिक बम वर्षा है। इस पर नरेंद्र मोदी जी ने जवाब देते हुए हमेशा की तरह 70 सालो का उदहारण दिया। उन्होंने कहा की 'कांग्रेस के युवा नेता अब भाषण देना सीख रहे हैं, मुझे बहुत खुशी हो रही है. अगर वह नहीं बोलते तो भूकंप आ जाता. उनके बोलने के बाद पता चल गया कि भूकंप नहीं आएगा.'विपक्ष कालेधन के खिलाफ लड़ाई के विरोध में पाकिस्तान जैसी रणनीति बना रहा है । यह वही मोदी जी है जिनके सरकारी मंत्रियों ने गुलाब नबी आजाद द्वारा नोट बंदी के कारण मृत व्यक्तियों की तुलना सैनिको के मृत्यु से करने के बाद गुलाब जी को गलत ठहराया था लेकिन खुद प्रंधान मंत्री मोदी कांग्रेस की तुलना पाकिस्तान से कर रहे है । नरेन्द्र मोदी जी की यह बात सब को गलत नहीं लग रही है , गुलाब जी का बयांन गलत था तो मोदी जी का बयान भी गलत है । यह दोनो नेता (राहुल गाँधी जी और नरेन्द्र मोदी जी )यह भूल गए की उनमें से से कोई भी परिपूर्ण नेता नहीं है । सभी नेता में कोई न कोई खामी है , हर एक ने कोई न कोई गलती की है । इसलिए इन दोनों नेताओ और इन दोनों के पार्टियों को जनता की समस्या दूर करने के लिए काम करना चाहिए न की एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करने में समय बर्बाद करना चाहिए । सिर्फ यही दोनों नेता नहीं बल्कि सभी नेताओ और पार्टियों को जनता के लिए काम करना चाहिए। यह जनता तय करेगी की चुनाव में किसे जिताना है। एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करने के कारण संसद का सत्र भी ख़राब हुआ इससे ना सिर्फ देश में बल्कि दुनिया में गलत संदेश गया है। इसलिए वक़्त रहते सभी नेताओ और राजनितिक दलों को अपने अहंकार को भुलाकर काम करने की जरूरत है ,यह किस तरह करना है यह उनपर निर्धारित है। लोकतंत्र की यही विशेषता है की विरोधी विचारो को समजकर को जो सही हो वह किया जाए ।
भारतीय लोकतंत्र में कई ऐसे उदहारण है जिनसे ये राजनेता और राजनीतिक दल काफी कुछ सिख सकते है अटल बिहारी वाजपेयी और अब्दुल कलाम इन से सीखकर लोकतंत्र और राजनीती के महत्व को कायम रखा जा सकता है

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