वेब सीरीज रुद्र द एज ऑफ डार्कनेस का ट्रेलर रिलीज(“Rudra - The Edge of Darkness"). इस वेब सीरीज से अजय देवगन (Ajay Devgn, Digital Debut) कर रहे हैं डिजिटल डेब्यू. रुद्र में अजय एक बार फिर कॉप लुक में नजर आ रहे हैं . अजय के अलावा में राशि खन्ना (Raashi Khanna), ईशा देओल (Esha Deol), अतुल कुलकर्णी, अश्विनी कालसेकर, तरुण गहलोत, आशीष विद्यार्थी और सत्यदीप मिश्रा प्रमुख भूमिकाओं में नज़र आएंगे. ‛रुद्र- द एज ऑफ डार्कनेस’ ब्रिटिश वेब सीरीज ‘लूथर’ की रीमेक है. ('Rudra - The Age of Darkness' is a remake of the British web series 'Luther'.)
भारतीय सेना के शौर्य और क्षमता को दुनिया भर में सराहा जाता है। सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भारतीय सेना के बहादुरी और कार्यक्षमता की चर्चा हुयी। भारतीय सैनिको पर हमलो के बीच बीएसएफ के जवान का एक विडियो काफी लोकप्रिय हुआ था। उस विडियो को बनानेवाले जवान ने इस बार एक ऐसा विडियो शेअर किया जिससे सेना की नींद उड़ गयी और अब सेना के कामकाजी शैली पर सवाल उठ रहे है। जवान ने सोशल मीडिया पर चार वीडियो अपलोड करके जवानों को दिए जाने वाले भोजन के संबंध में आरोप लगाए हैं । वीडियो में सेना को दिए जानेवाले भोजन को दिखाया गया है । जवान ने जली हुई रोटियों का जो एक विडियो सोशल मीडिया पर डाला है,उसके अपलोड होने के चौबीस घंटे के भीतर उसे पैंसठ लाख बार देखा गया। करीब आठ हजार लोगों ने गुस्से और हैरानी भरी प्रतिक्रिया दी है।
इस वीडियो में वह जवान यह कहते हुए दिखाई पड़ रहा है कि ‘इसके बाद शायद मैं रहूं या न रहूं। अधिकारियों के हाथ बहुत बड़े हैं। वो मेरे साथ कुछ भी कर सकते हैं।’सोशल मीडिया पर शेअर इस वीडियो को गृहमंत्री राजनाथ सिंह जी ने गंभीरता से लेते हुए गृहसचिव से रिपोर्ट तलब की और ट्वीट कर कहा कि उन्होंने बीएसएफ के जवानों के शोषण संबंधी इस वीडियो को खुद देखा है। इससे बीएसएफ के अफसर बचाव की मुद्रा में आ गए हैं. बीएसएफ ने विडियो का खंडन किया है । बीएसएफ ने कहा कि वह अपने जवानों की जरूरतों को पूरा करने के लिए तत्पर रहता है, किसी एक शख्स को परेशनी हुई हो तो इसकी जांच की जाएगी।अधिकारियों ने उस जवान को नियंत्रण रेखा से हटा कर मुख्यालय पर तैनात कर दिया है। अधिकारी मीडिया के सामने इस बात का जवाब नहीं दे रहे हैं कि जो भोजन वीडियो में दिख रहा है, वह अपौष्टिक है या नहीं। वीडियो सच है या झूठ? बल्कि अफसर इस बात पर एतराज जता रहे हैं कि जवान के पास मोबाइल पहुंचा कैसे?। बीएसएफ के आईजी रैंक के एक अफसर ने कहा कि विडियो शेअर करनेवला वह जवान पहले से कोर्टमार्शल के तहत विचाराधीन है और उस पर शराबखोरी तथा बदसलूकी के भी आरोप हैं। अफसरों की यह दलील इसलिए बेदम नजर आती है कि अगर वह ऐसा है तो इतने संवेदनशील स्थान पर उसकी तैनाती क्यों की गई थी? वीडियो शेअर करनेवाले उस जवान पर लग चुके आरोपों की सच्चाई जो हो, यहां मुद्दा बेस्वाद और घटिया खुराक का है, न कि मोबाइल के उस तक पहुंचने या न पहुंचने का।
संयोगवश, इसी समय सेना की एक अंदरूनी रिपोर्ट भी चर्चा में है, जिसमें आतंकी हमलों में सैनिक हताहतों की संख्या अधिक होने का कारण प्रबंधन की गड़बड़ियां बताई गई हैं। आर्मी डिजाइन ब्यूरो (एडीबी) द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट में करीब 50 ऐसी कमियां बताई गई हैं, जिनकी वजह से सैनिकों की जान सस्ती हो जाती है। इनमें रक्षा कवच की खामियों से लेकर ईंधन रखने की ऐड हॉक व्यवस्था तक तमाम बातें शामिल हैं।इस संबंध में कुछ बिंदु गंभीर बहस की मांग करते हैं।हमारे सुरक्षा बलों और अदालतों के भीतर पनपने वाले भ्रष्टाचार को अक्सर देशहित, गोपनीयता और अनुशासन आदि के नाम पर छिपाया जाता रहा है। जबकि बड़े-बड़े रक्षा सौदों में घोटालों से लेकर कई तरह के घपले सामने आने से जाहिर है कि हमारे रक्षातंत्र में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। छोटे-मोटे मामलों को निजी शिकायत या अनुशासनहीनता के बट्टेखाते में डाल कर बड़े अधिकारी अक्सर मामले को ठंडा करने की कोशिश करते हैं।
रक्षा बजट में अमूमन हर साल उल्लेखनीय बढ़ोतरी होती रही है। इसलिए अगर कहीं जवानों को घटिया खाना मिले, तो उसकी वजह आबंटन की कमी नहीं हो सकती है। फिर, असली वजह क्या हो सकती है! सेना के जवानों को दिए जानेवाले इस भोजन के बदइंतजामी को दूर करने के ठोस उपाय तत्काल किए जाएं। सेना में कई और खामियां हो सकती है। एक जवान ने जोखिम उठा कर इसमें से एक समस्या की तरफ ध्यान खींचा है। समस्याओं को दूर करने के लिए सैनिकों को अपनी फोर्स के भीतर ही ऐसे मंच भी उपलब्ध कराए जाएं, जहां वे अपनी शिकायतें पहुंचाने के बाद उनपर प्रभावी कार्रवाई को लेकर आश्वस्त हो सकें।
(जनसत्ता और नवभारत टाइम के एडिटोरियल पेज से और साथ ही कुछ खुद के विचारो के साथ लिखा हुआ यह लेख !)
इस वीडियो में वह जवान यह कहते हुए दिखाई पड़ रहा है कि ‘इसके बाद शायद मैं रहूं या न रहूं। अधिकारियों के हाथ बहुत बड़े हैं। वो मेरे साथ कुछ भी कर सकते हैं।’सोशल मीडिया पर शेअर इस वीडियो को गृहमंत्री राजनाथ सिंह जी ने गंभीरता से लेते हुए गृहसचिव से रिपोर्ट तलब की और ट्वीट कर कहा कि उन्होंने बीएसएफ के जवानों के शोषण संबंधी इस वीडियो को खुद देखा है। इससे बीएसएफ के अफसर बचाव की मुद्रा में आ गए हैं. बीएसएफ ने विडियो का खंडन किया है । बीएसएफ ने कहा कि वह अपने जवानों की जरूरतों को पूरा करने के लिए तत्पर रहता है, किसी एक शख्स को परेशनी हुई हो तो इसकी जांच की जाएगी।अधिकारियों ने उस जवान को नियंत्रण रेखा से हटा कर मुख्यालय पर तैनात कर दिया है। अधिकारी मीडिया के सामने इस बात का जवाब नहीं दे रहे हैं कि जो भोजन वीडियो में दिख रहा है, वह अपौष्टिक है या नहीं। वीडियो सच है या झूठ? बल्कि अफसर इस बात पर एतराज जता रहे हैं कि जवान के पास मोबाइल पहुंचा कैसे?। बीएसएफ के आईजी रैंक के एक अफसर ने कहा कि विडियो शेअर करनेवला वह जवान पहले से कोर्टमार्शल के तहत विचाराधीन है और उस पर शराबखोरी तथा बदसलूकी के भी आरोप हैं। अफसरों की यह दलील इसलिए बेदम नजर आती है कि अगर वह ऐसा है तो इतने संवेदनशील स्थान पर उसकी तैनाती क्यों की गई थी? वीडियो शेअर करनेवाले उस जवान पर लग चुके आरोपों की सच्चाई जो हो, यहां मुद्दा बेस्वाद और घटिया खुराक का है, न कि मोबाइल के उस तक पहुंचने या न पहुंचने का।
संयोगवश, इसी समय सेना की एक अंदरूनी रिपोर्ट भी चर्चा में है, जिसमें आतंकी हमलों में सैनिक हताहतों की संख्या अधिक होने का कारण प्रबंधन की गड़बड़ियां बताई गई हैं। आर्मी डिजाइन ब्यूरो (एडीबी) द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट में करीब 50 ऐसी कमियां बताई गई हैं, जिनकी वजह से सैनिकों की जान सस्ती हो जाती है। इनमें रक्षा कवच की खामियों से लेकर ईंधन रखने की ऐड हॉक व्यवस्था तक तमाम बातें शामिल हैं।इस संबंध में कुछ बिंदु गंभीर बहस की मांग करते हैं।हमारे सुरक्षा बलों और अदालतों के भीतर पनपने वाले भ्रष्टाचार को अक्सर देशहित, गोपनीयता और अनुशासन आदि के नाम पर छिपाया जाता रहा है। जबकि बड़े-बड़े रक्षा सौदों में घोटालों से लेकर कई तरह के घपले सामने आने से जाहिर है कि हमारे रक्षातंत्र में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। छोटे-मोटे मामलों को निजी शिकायत या अनुशासनहीनता के बट्टेखाते में डाल कर बड़े अधिकारी अक्सर मामले को ठंडा करने की कोशिश करते हैं।
रक्षा बजट में अमूमन हर साल उल्लेखनीय बढ़ोतरी होती रही है। इसलिए अगर कहीं जवानों को घटिया खाना मिले, तो उसकी वजह आबंटन की कमी नहीं हो सकती है। फिर, असली वजह क्या हो सकती है! सेना के जवानों को दिए जानेवाले इस भोजन के बदइंतजामी को दूर करने के ठोस उपाय तत्काल किए जाएं। सेना में कई और खामियां हो सकती है। एक जवान ने जोखिम उठा कर इसमें से एक समस्या की तरफ ध्यान खींचा है। समस्याओं को दूर करने के लिए सैनिकों को अपनी फोर्स के भीतर ही ऐसे मंच भी उपलब्ध कराए जाएं, जहां वे अपनी शिकायतें पहुंचाने के बाद उनपर प्रभावी कार्रवाई को लेकर आश्वस्त हो सकें।
(जनसत्ता और नवभारत टाइम के एडिटोरियल पेज से और साथ ही कुछ खुद के विचारो के साथ लिखा हुआ यह लेख !)

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