वेब सीरीज रुद्र द एज ऑफ डार्कनेस का ट्रेलर रिलीज(“Rudra - The Edge of Darkness"). इस वेब सीरीज से अजय देवगन (Ajay Devgn, Digital Debut) कर रहे हैं डिजिटल डेब्यू. रुद्र में अजय एक बार फिर कॉप लुक में नजर आ रहे हैं . अजय के अलावा में राशि खन्ना (Raashi Khanna), ईशा देओल (Esha Deol), अतुल कुलकर्णी, अश्विनी कालसेकर, तरुण गहलोत, आशीष विद्यार्थी और सत्यदीप मिश्रा प्रमुख भूमिकाओं में नज़र आएंगे. ‛रुद्र- द एज ऑफ डार्कनेस’ ब्रिटिश वेब सीरीज ‘लूथर’ की रीमेक है. ('Rudra - The Age of Darkness' is a remake of the British web series 'Luther'.)
मीडिया यानी बदलाव की ताकत यह धारणा मीडिया ने अपने अच्छे कामो से बनाई थी। मीडिया के प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया यह सबसे मजबूत अंग है। मीडिया में प्रिंट मीडिया सबसे पुराना और प्रभावी अंग रहा है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के आगमन के बाद भी प्रिंट मीडिया ने अपने प्रभाव को बरकरार रखा है। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में काम करनेवाले लोगो ने मीडिया को बेहतर बनाने में अपना योगदान दिया है। प्रिंट मीडिया ने भारत की आजादी में महत्वपूर्ण किरदार अदा किया और आज भी कर रहा है। उससे अब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का साथ मिल रहा है, लेकिन वक़्त के साथ मीडिया अपनी पहचान खोता जा रहा है। मीडिया के अंग प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक में काम करनेवाले पत्रकार, नेता जिन्होंने मीडिया हाऊस शुरू किया है वह सब इसका गलत इस्तेमाल कर रहे है। इस वजह से आज मीडिया को लोग नेता के बयानों की तरह सिर्फ फायदा उठानेवाला, हमेशा टीआरपी के लिये काम करनेवाला माध्यम कहते हैं। ढेर सारे अखबार और टीवी चैनल दिनरात खबरे देते है। यह सभी चैनल और अख़बार एक दूसरे को निष्पक्ष और सत्य का साथी कहते है। मीडिया आज निष्पक्ष काम करने के बजाय खुद के साथ साथ लोगों को भी गुमराह कर रहा है। लोगों को निष्पक्ष फैसले करने के लिए प्रेरित करने के बजाय न्यायाधीश बनाने की कोशिश कर रहा है। लोग भी इसके शिकार हो रहे हैं, यह बात लोगों को बताने के बाद लोग इसको मानने से इनकार कर देते है।
मीडिया अपने कर्मचारी यानी जो पत्रकार है उनसे से लेकर जितने भी लोग मीडिया में काम कर रहे हैं वह सभी लोग इसी बात पर ध्यान देते हैं की कौनसी खबर टीआरपी दिला सकती है। इसका नतीजा यह हो रहा की निष्पक्ष पत्रकारिता और मीडिया का निष्पक्ष रवैया खत्म हो रहा है। इरशाद अली मीडिया के पक्षपात का उदाहरण है। दिल्ली पुलिस के द्वारा इरशाद को आतंकवाद के झूठे मामले में फसाए जाने के बाद मीडिया ने बिना कोई जांच पड़ताल किये उन्हें आतंकवादी कहा और मीडिया के कारण लोगों ने भी उस बात को सच माना और उन्हें आतंकवादी ठहराया। ऐसे कई बार होता है की मीडिया खुद न्यायाधीश बनता है और लोगों को भी न्यायाधीश बनाता है और फैसला सुनाता है। इस कारण बाद में पछताना पड़ता है। मीडिया के कारण ख़राब हुई स्थितियों को सुधारने तक सब खत्म हो चूका होता है। मीडिया खुद को कभी भी गलत नहीं ठहराता है बल्कि गिरगिट की तरह रंग बदल कर लोगों और अन्य स्थितियों पर आरोप लगा देता है।
आज के समाज में अगर सच में बदलाव हुए होते तब समाज निष्पक्ष होता। बदला हुआ आधुनिक समाज निष्पक्ष फैसला करता की कौन सही है और क्या होना चाहिए। पत्रकार राजनीतिक संबंधो के कारण कई खबरे लोगों तक नहीं पहुँचाते। अगर पत्रकार खबर देने की कोशिश करे तो पत्रकार को उसे भी ऊँचे पद पर बैठे लोग खबर को सामने लाने से रोकते है। अगर कोई खबर है तो उसे लोगों तक पहुंचाना पत्रकार और मीडिया का काम है। खबर के सामने आने के बाद लोगों का काम है की आक्रामक होने के बजाय निष्पक्ष रहे। मीडिया अगर एक पक्ष के फैसले को सही ठहरा रहा है तब भी लोगों को निष्पक्ष रहना चाहिए। न्यायाधीश की तरह फैसले सुनाने से अब तक कई बार पछताना पड़ा है तथा आगे भी पछताना पड सकता है।
गलतियों सीख कर सभी बेहतर बनते है और जो गलतियों को दोहराते हैं उन्हें अज्ञानी या मूर्ख कहा जाता है। बेहतर समाज के निर्माण की जिम्मेदारी सिर्फ एक की नहीं बल्कि सभी की है। मीडिया और समाज में मौजूद लोग किसी भी जानकारी को निष्पक्ष तरीके से समझने लगे और फैसला करने लगे तब बेहतर समाज का निर्माण आसानी से संभव हो जाएगा।

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