वेब सीरीज रुद्र द एज ऑफ डार्कनेस का ट्रेलर रिलीज(“Rudra - The Edge of Darkness"). इस वेब सीरीज से अजय देवगन (Ajay Devgn, Digital Debut) कर रहे हैं डिजिटल डेब्यू. रुद्र में अजय एक बार फिर कॉप लुक में नजर आ रहे हैं . अजय के अलावा में राशि खन्ना (Raashi Khanna), ईशा देओल (Esha Deol), अतुल कुलकर्णी, अश्विनी कालसेकर, तरुण गहलोत, आशीष विद्यार्थी और सत्यदीप मिश्रा प्रमुख भूमिकाओं में नज़र आएंगे. ‛रुद्र- द एज ऑफ डार्कनेस’ ब्रिटिश वेब सीरीज ‘लूथर’ की रीमेक है. ('Rudra - The Age of Darkness' is a remake of the British web series 'Luther'.)
राजनीति का स्तर
इतना गिरा हुआ की यहाँ पर अब संवाद होने के बजाय एक दूसरे को निचा दिखाने को महत्व
दिया जा रहा है. हर चुनावो में यही देखने मिल रहा है. महाराष्ट्र में जब
चुनाव होनेवाले थे उस वक़्त
महाराष्ट्र में
शिवसेना- बीजेपी ने एक दूसरे को औकात दिखाने की बात कही थी.
चुनावो के बाद शिवसेना- बीजेपी को औकात पता चल गई है. उत्तर प्रदेश में नरेन्द्र मोदी ने
विरोधियों पर टिप्पणी करते हुए उनके लिए स्कैम, बहनजी संपत्ति पार्टी इन शब्दों
का इस्तेमाल किया. इस पर विरोधी दलों के नेताओं ने जवाब दिया। विपक्षी दलों के नेताओं
ने स्कैम और बहनजी संपत्ति पार्टी के लिए उत्तर ढूंढे. विपक्षी दलों ने स्कैम
शब्द का अर्थ सेव कंट्री फ्रॉम अमित शाह एंड मोदी बताया और बहनजी संपत्ति पार्टी
के जवाब में नरेंद्र दामोदरदास मोदी (एनडीएम) शब्द का मतलब निगेटिव दलित मैन
बताया. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह तो इससे भी आगे आकर कसाब का
नया अर्थ खोज लाये है. अमित जी के अनुसार कसाब यानी कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी है.
बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के 'कसाब' वाले बयान पर पलटवार करते हुए कहा है कि अमित शाह से बड़ा 'कसाब' नहीं हो सकता.
शब्दो के इन नए
अविष्कारों से राजनीतिक दलों के शोध की काबिलयत पता चलता है. इस शोध की काबिलियत
के लिए उनकी तारीफ़ करनी होगी. इन दलों के पास एकदूसरे पर आलोचना करने के लिए
खामियां ढूंढने की ताकत है, इनके पास रूपये और वक़्त भरपूर है. इन
व्यस्त लोगों के पास बस इसके लिए वक़्त नहीं है की वह एक दूसरे को साथ लेकर
चलते हुए देश के विकास के लिए कुछ करे.
सभी राजनीतिक दलों के नेता हमेशा शब्द , लोकतंत्र की गरिमा की बात करते है पर खुद
शब्द,
लोकतंत्र की
गरिमा को ठेस पहुंचाते है. किसी भी दल के नेता के लिए प्रतिद्वंद्वी दलों से
पिंड छुड़ाने का आह्वान करना स्वाभाविक है, लेकिन आलोचना करते वक़्त या आह्वान करते इस तरह की बात करना इन्हें गलत क्यों
नहीं लगता?
क्या बीजेपी दल
को यही लगता है की वह अकेला ही विकास को महत्व देनेवाला और नए विचारों महत्व
देनेवाला दल है?
औकात दिखाने की
बात,
स्कैम, बहनजी संपत्ति पार्टी, (नरेंद्र दामोदरदास मोदी) निगेटिव दलित मैन, कसाब इन शब्दों का इस्तेमाल करना यह दर्शाता
है की राजीनीति लोकतंत्र से दूर होकर कट्टरता और स्वार्थ की ओर जा रही है. इस तरह
की टिप्पणियों को आपत्तिजनक या अनावश्यक और चुनाव प्रचार को छिछले स्तर पर ले जाने
वाला ही कहा जा सकता है. राजनीति की जंग विकास कार्यों पर टिकी होती है. राजनीतिक का नजरिया भी एकता,
विकास को लेकर
बनाया जाता है,
होता है. शायद
भारत में मौजूद राजनीतिक दल इसके लिए अपवाद है.
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