वेब सीरीज रुद्र द एज ऑफ डार्कनेस का ट्रेलर रिलीज(“Rudra - The Edge of Darkness"). इस वेब सीरीज से अजय देवगन (Ajay Devgn, Digital Debut) कर रहे हैं डिजिटल डेब्यू. रुद्र में अजय एक बार फिर कॉप लुक में नजर आ रहे हैं . अजय के अलावा में राशि खन्ना (Raashi Khanna), ईशा देओल (Esha Deol), अतुल कुलकर्णी, अश्विनी कालसेकर, तरुण गहलोत, आशीष विद्यार्थी और सत्यदीप मिश्रा प्रमुख भूमिकाओं में नज़र आएंगे. ‛रुद्र- द एज ऑफ डार्कनेस’ ब्रिटिश वेब सीरीज ‘लूथर’ की रीमेक है. ('Rudra - The Age of Darkness' is a remake of the British web series 'Luther'.)
इंसानियत की बात करना आज कल एक वस्तु की तरह बन गया है। हर कोई इंसानियत की बात करता है और उस पर बहुत अच्छे से ज्ञान देता है। इस ज्ञान के जरिए बदलाव की बात करता है पर यह इंसानियत सिर्फ कहने में रह गयी है। असल जिंदगी में इंसानियत का महत्व सिर्फ सोशल मीडिया में दिखाने का नाटक रह गया है।सोशल मीडिया में इंसानियत की बात कर लाइक हासिल करना और खुदको एक अच्छा साबित करने की होड सी लगी है।
यही कर्नाटक में देखने मिला। यहां सड़क दुर्घटना के शिकार खून से लथपथ एक 18 वर्षीय लड़का मदद के लिए तड़पता रहा। लेकिन, उसकी मदद के लिए कोई नहीं आया पर वहां मौजूद लोग उसकी तस्वीरें जरूर खींचते रहे। लगभग 25 मिनट तक वह लड़का दर्द में तड़पता रहा। बाद में उसे कुछ लोगों ने नजदीकी अस्पताल में पहुंचाया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। इस लड़के की मौत हो चुकी थी। इस घटना का वीडियो सामने आने के बाद लोग सफाई दे रहे है की ‘घटनास्थल पर मौजूद लोग सदमे में थे, वह समझ नहीं पा रहे थे कि बुरी तरह घायल लड़के की वह किस तरह मदद करें।
इस पूरे घटनाक्रम को देखते हुए लगता भी यही है की उस लड़के की जान बच सकती थी। पूरे देशभर में इस तरह के हालात से बचने के लिए सरकारी विज्ञापन भी दिखाए जा रहे हैं। लोगों को जागरूक किया जा रहा है लेकिन, मदद के बजाए लोग वीडियो बनाने में और तमाशा देखने में लग जाते हैं।
लोग देशभक्ति का दिखावा करते है तथा राष्ट्रगीत के लिए खड़े न होने पर मारपीट कर देते है और दो मिनट खड़े रहने का ज्ञान देते है। जब की हिंसा करना गलत है। ठीक उसी तरह दुर्घटना के वक़्त भी मदद न करना और सिर्फ तमाशा देखना गलत है। राष्ट्रगीत के लिए सभी खड़े रहते हैं, लेकिन किसी की मदद के लिए नहीं रुकते। सिर्फ इंसानियत की बातें करने से कुछ नहीं होता। इस तरह के बर्ताव से नैतिक मूल्यों का भी पतन होता है ।

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