वेब सीरीज रुद्र द एज ऑफ डार्कनेस का ट्रेलर रिलीज(“Rudra - The Edge of Darkness"). इस वेब सीरीज से अजय देवगन (Ajay Devgn, Digital Debut) कर रहे हैं डिजिटल डेब्यू. रुद्र में अजय एक बार फिर कॉप लुक में नजर आ रहे हैं . अजय के अलावा में राशि खन्ना (Raashi Khanna), ईशा देओल (Esha Deol), अतुल कुलकर्णी, अश्विनी कालसेकर, तरुण गहलोत, आशीष विद्यार्थी और सत्यदीप मिश्रा प्रमुख भूमिकाओं में नज़र आएंगे. ‛रुद्र- द एज ऑफ डार्कनेस’ ब्रिटिश वेब सीरीज ‘लूथर’ की रीमेक है. ('Rudra - The Age of Darkness' is a remake of the British web series 'Luther'.)
गुरमेहर के साथ गलत व्यवहार ने साबित किया की सोशल मीडिया एक ऐसा विकृत स्वरूप है, जहां बातों का संदर्भ इस कदर बिगाड़ दिया जा सकता है कि कोई निर्दोष व्यक्ति खुद को पीड़ित महसूस करने लगे.
सभी लोग मानवता, प्यार, लोकतंत्र की बात करते हैं, लेकिन सिर्फ बात करते है, हकीकत में मानवता और प्यार के मूल्य को बढ़ाने की बात की जाए तब लोग खुद के अंदर मौजूद अहंकार और नफरत को छुपाते हुए, दूसरों को दोष देते हुए यह कह देते है की बदलाव बहुत मुश्किल है. वह खुदको सुधारने के बजाए दूसरों की गलतियों को ढूंढ कर दूसरों को सुधरने से रोकते हैं. लोग खुद के बुराइयों को भूलकर निर्दोष व्यक्ति को तकलीफे देना शुरू कर देते हैं. अगर कोई किसी के बात से सहमत न हो तो उसे अलग दर्जे का व्यक्ति कहा जाता है. उसे अपना शत्रु मान लिया जाता है. गुरमेहर को अपशब्द कहकर और धमकी देकर समाज ने साबित किया की वह कट्टरपंथी देशो में शामिल होने के लिए भारत का प्रतिनिधित्व कर रहा है.
समाज की परिस्थिति ऐसी हो गयी है की समाज में यानी भारत में रहना है तो कट्टरपंथी विचारों को बढ़ावा देना होगा और धर्मिकता, राष्ट्रवाद, जाती के नाम पर आरक्षण कर हिंसा करनी होगी. ऐसा नहीं किया गया ,या फिर धार्मिकता, राष्ट्रवाद, जाती के नाम पर आरक्षण के खिलाफ वैचारिक लड़ाई की गयी तो नेता, संत, ज्ञानी और मीडिया मिलकर देशद्रोही ठहराएंगे. जिस कोर्ट की तरफ न्याय की अपेक्षा से देखा जाता है वह भी विरोधी विचारधारा को देशद्रोही ठहरायेगा और उस फैसले को स्वीकार करना होगा.
इस संदर्भ में काम शुरू भी हो चुका है. जो राजनीतिक दल मानवता, प्यार, लोकतंत्र की बात करते हैं वह
कमजोर होते जा रहे है. जो राजनीतिक दल मानवता, प्यार, लोकतंत्र की बात करेंगे उनको गलत साबित करने के लिए उनका मीडिया ट्रायल किया जाएगा ताकि वह भी किसी की मदद ना करे. सभी ज्ञानी लोग अब देशभक्ति का पाठ सिखा रहे है और प्रदर्शित कर रहे है. वह कितने बड़े देशभक्त है यह दिखाने के लिए सोशल मीडिया और मोर्चा, आंदोलन का इस्तेमाल कर रहे है.
भारतीय लोकतंत्र सिर्फ कट्टरता को महत्व देनेवालों के लिए रह गया है. जो इस कट्टरता का विरोध करते हैं उनके लिए भारतीय लोकतंत्र नहीं है. जो कट्टरता का विरोध करते है उनके लिए द्वेष और सजा रह गयी है. लोकतंत्र, मानवता , प्यार को बढ़ावा देने के लिए तकलीफे उठाने की हिम्मत और शक्ति है तो ही लड़िये वरना खामोश रहिये यह घोषणा वाक्य बन गया है. इस घोषणा वाक्य, कट्टरता को खत्म करने के लिए पहले इस सत्य को स्वीकार करना होगा की भारत में कट्टरता बढ़ रही है. एक बार खामी को स्वीकारने के बाद खामी को दूर करने के लिए जवाब ढूंढना आसान हो जायेगा.
सरकार देशभक्ती के मुद्दे पर बात कर रही है. सरकार और लोगों के द्वारा देशभक्ति के नाम पर पक्षपात किया जाता है. इस खबर को पढने के बाद पता चलता है की देशभक्ति सिर्फ ढोंग है
खबर मराठी में- http://www.loksatta.com/desh-videsh-news/rss-leader-offers-rs-1-crore-reward-beheading-kerala-cm-pinarayi-vijayan-1422541/
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