वेब सीरीज रुद्र द एज ऑफ डार्कनेस का ट्रेलर रिलीज(“Rudra - The Edge of Darkness"). इस वेब सीरीज से अजय देवगन (Ajay Devgn, Digital Debut) कर रहे हैं डिजिटल डेब्यू. रुद्र में अजय एक बार फिर कॉप लुक में नजर आ रहे हैं . अजय के अलावा में राशि खन्ना (Raashi Khanna), ईशा देओल (Esha Deol), अतुल कुलकर्णी, अश्विनी कालसेकर, तरुण गहलोत, आशीष विद्यार्थी और सत्यदीप मिश्रा प्रमुख भूमिकाओं में नज़र आएंगे. ‛रुद्र- द एज ऑफ डार्कनेस’ ब्रिटिश वेब सीरीज ‘लूथर’ की रीमेक है. ('Rudra - The Age of Darkness' is a remake of the British web series 'Luther'.)
इस महिने और आनेवाले अनेक वर्षो तक भारत को कुछ बातें हमेशा याद रहेगी. उनकी चर्चा की जायेगी. यह बातें है राष्ट्रवाद (देशभक्ति) और स्त्री-पुरुष समानता की. देशभक्ति की तरह स्त्री-पुरुष समानता की बात अनेक वर्षो से हो रही है. 8 मार्च को पूरे दुनिया में स्त्री दिवस मनाया जाता है. इस दिन स्त्री शक्ति की बात की जाती है. स्त्री शक्ति के योगदान के लिए धन्यवाद दिया जाता है. इस दिन हर जगह अखबार से लेकर दूरदर्शन तक और आधुनिक समाज के लोकप्रिय माध्यम सोशल मीडिया तक इसे जोर शोर से मनाया जाता है. इस दिन स्त्री शक्ति के लिए ढेर सारे संदेश, कवितायें लिखी जाती है.
8 मार्च से पहले से ही सोशल मीडिया के माध्यम से अनेक संदेश, कवितायें एक दूसरे तक पहुंचाना (शेअर करना) शुरू हो जाता है. यह सब देखकर यही लगता है की नारी (स्त्री) शक्ति के महत्व को समाज बहुत महत्व देता है, उनका आदर करता है. पर असली बात यही शुरू होती है. समाज बस संदेश कवितायें शेअर करता है. समाज ने स्त्री शक्ति को आदर दिया है उसके महत्व को स्वीकार है यह बस कल्पनायें है, क्योंकि अगर समाजने स्त्री शक्ति को महत्व दिया होता, उसके प्रति आदर होता तो महिलाओं को देवी मानकर पूजा करनेवाला समाज महिलाओं का लैगीक शोषण नहीं करता और महिलाओं के प्रति भेदभाव और हिंसा की खबरें नहीं आती.
16 दिसंबर को हुए निर्भया के सबसे बुरे घटना ने पूरे समाज को ग़हरी चोट पहुंचाई थी. इस घटना के बाद पूरा समाज जिस तरह इकठ्ठा हुआ, इस एकता को देखते हुआ लगा था कि अब बदलाव शुरू हुआ है. लेकिन यह बात एक कल्पना थी.निर्भया के घटना के बाद बदलाव के बजाय महिलाओं के प्रति हिंसा में बढ़ोतरी हुई है. छेड़छाड़, बलात्कार और अनेक तरह के गुनाहों में बढ़ोतरी होना समाज के लिए चिंता का विषय है. महिलाओं के प्रति हिंसा को रोकने के कई प्रयास भी जारी है. सरकार और सामाजिक तौर पर शुरू हुये प्रयास को सरकारी लोग, समाज खुद ठेस पहुंचाते है. महिलाओं को लेकर नेता और समाज के कुछ लोग जिस तरह के महिला विरोधी बयान देते है उसका फायदा भी गुन्हेगार उठाते है.
महिलाओं के प्रति हिंसाओ के आंकड़े खबरों से और सरकारी कार्यालयों से मिल जाते है. महिलाओं के प्रति हिंसाओ को गहराई से देखने की बात करने पर बार-बार यही कहा जाता है की यह मुद्दा भटकाने की बात है. समाज महिलाओं के प्रति आदर सिर्फ सोशल मीडिया के माध्यम से दिखता है.
अमिताभ बच्चन जी जैसे महानायक अभिनेता को भी महिलाओं के प्रति समाज के द्वारा होनेवाली हिंसा को रोकने के लिए काम करना पड रहा है यह समाज के नजरिये से यह एक और दुखद बात है. अमिताभ जी ने कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर स्त्री-पुरुष समानता को लेकर एक संदेश लिखा था. उसमे उन्होंने लिखा की मेरे मृत्यु के बाद मेरी संपत्ति को मेरे बेटे और मेरी बेटी में समान रूप से बांटा जाये. अमिताभ जी के इस संदेश को काफी पसंद किया जा रहा है और शेयर किया जा रहा है.
आज के आधुनिक कहे जानेवाले समाज में सोशल मीडिया पर किसी बात को लेकर सहमती दर्शाना, विरोध करने को ही सब कुछ कहा जा रहा है. सोशल मीडिया ने लोगों को इस कदर दीवाना बनाया है की लोग सोशल मीडिया को ही अपना घर-परिवार, समाज समज रहे है. इसका नतीजा यह हो रहा है की समाज मूल संस्कारो, गुणों से दूर होता जा रहा है. समाज महिलाओं के प्रति आदर रखनेवाला होता, उसके शक्ति के महत्व को जाननेवाला होता तो महिलाओं के प्रति हिंसा की घटनाए नहीं होती.
समाज महिलाओं को कुछ करने नही देता. गुरमेहर कौर इसका उदाहरण है. उन्होंने राष्ट्रभक्ति और शांति को लेकर अपनी बात रखी. इस पर समाज इतना
आक्रामक हुआ की उसने गुरमेहर के साथ बलात्कार की धमकी दी. समाज के कुछ लोगों द्वारा इस तरह की धमकी मूल्यों के पतन और अहंकार के बढ़ते प्रभाव के ओर इशारा करती है.
आक्रामक हुआ की उसने गुरमेहर के साथ बलात्कार की धमकी दी. समाज के कुछ लोगों द्वारा इस तरह की धमकी मूल्यों के पतन और अहंकार के बढ़ते प्रभाव के ओर इशारा करती है.
समाज महिलाओं को कुछ करने नही देता. गुरमेहर कौर इसका उदाहरण है. उन्होंने राष्ट्रभक्ति और शांति को लेकर अपनी बात रखी. इस पर समाज इतनाआक्रामक हुआ की उसने गुरमेहर के साथ बलात्कार की धमकी दी. समाज के कुछ लोगों द्वारा इस तरह की धमकी मूल्यों के पतन और अहंकार के बढ़ते प्रभाव के ओर इशारा करती है.
महिलायें कुछ करे, कुछ कहे इसकी आजादी समाज ने आज भी महिलाओं को नहीं दी है. महिलाओं के प्रति हिंसा को रोखने के लिए समाज का विकास करने के लिए महिलाओं को सच में आदर देना होगा. स्त्री-पुरुष असमानता के भेद को भुलाना होगा.
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